नाग मे मुख्य रूप सँ अनंत , कुलिक , वासुकि , तक्षक , कर्कोटक ,पद्म ,महापद्म आ शङ्खपाल अष्टनाग छथि।
हिनक आराधना पूजा कएला सँ ग्रह सेहो अनुकुल होइत छथि ।
अनंतनाग =सूर्य ,
वासुकि =चन्द्रमा ,
तक्षक =मंगल ,
कर्कोटक =बुध ,
पद्म =गुरु ,
महापद्म =शुक्र ,
कुलिक +शंखपाल =शनि
गणेशजी आ रूद्र जनेऊ के रूप मे , भोलेनाथ श्रृंगारक रूप मे , श्री हरि शैय्याक रूप मे आ पृथ्वी केर अपन फणक ऊपर शेषनाग धारण कएने छथि ।
नागदेवताक पूजा सँ प्राणी कुंडली मे विदित दोषक निवारण संगहि शांति प्राप्त करैछ । विषधर जीवक भय सँ मुक्त रहैछ । घर मे सुख -शान्ति बनल रहैछ । गृहारम्भ (घर निर्माण) मे सेहो नागदेवताक पूजन कएल जाइछ।
नागेश्वराय तुभ्यं नमामि

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(ई लेखक अप्पन विचार अछि )